5-6 मई 1922 को लीलूड़ी बड़ली में हुए नरसंहार को 'सिरोही का जलियांवाला' कहा जाता है और इस नरसंहार को आज 103 वर्ष पूरे हो गए हैं। अंग्रेज़ी शासन के कृषि कार्य पर लगान के विरोध में आदिवासियों ने हुंकार भरी थी और अंग्रेज़ों ने निहत्थे आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं थी जिसकी चपेट में करीब 305 परिवार आए थे।
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06 May